नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में उन राजमार्गों पर अवरोधकों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज कर दिया है, जहां किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह मामला पहले से ही अदालत में लंबित है और वह एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकता।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने पंजाब में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम करने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा, “हम पहले ही इस व्यापक मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। केवल आपको ही समाज की चिंता नहीं है। बार-बार याचिकाएं दायर मत कीजिए। कुछ लोग प्रचार के लिए याचिका दाखिल करते हैं और कुछ लोग सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते हैं।”
किसानों ने पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर डाला डेरा
अदालत ने याचिका को लंबित मामले के साथ जोड़ने के लूथरा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के शंभू और खनौरी सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं। सुरक्षा बलों ने 13 फरवरी को उन्हें दिल्ली की ओर बढ़ने से रोक लिया था।
रविवार को दिल्ली कूच की कोशिश
प्रदर्शनकारी किसानों ने 6 दिसंबर को दिल्ली में प्रवेश करने की योजना बनाई थी, लेकिन पुलिस द्वारा आंसू गैस छोड़े जाने के बाद उन्होंने अपना मार्च स्थगित कर दिया। 8 दिसंबर को ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च फिर से शुरू हुआ, लेकिन उसी कारण से फिर से उसे रोक दिया गया।
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि किसानों और उनके संगठनों ने पंजाब में समस्त राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों को बेमियादी अवरुद्ध कर दिया है। याचिकाकर्ता ने यह अनुरोध किया था कि आंदोलनकारी किसान राष्ट्रीय राजमार्गों और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध न करें। याचिका में यह भी कहा गया था कि राजमार्गों को अवरुद्ध करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न करता है, क्योंकि सेना का पूरा आवागमन पंजाब से होकर गुजरता है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया कि राजमार्गों पर स्वतंत्र आवाजाही नागरिक के मौलिक अधिकार के तहत आती है, जिसे किसानों द्वारा पंजाब राज्य में राजमार्गों को अवरुद्ध कर उल्लंघन किया जा रहा है।